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Ashish Aggarwal

Others

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Ashish Aggarwal

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अम्मी का मन

अम्मी का मन

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अम्मी का मन

कोशिश नहीं की लिखने की,

ये बात मेरे ज़हन ने खुद कलम से कही है।

अम्मी का मन पहचान लेता,

उसके बच्चों के लिए क्या गलत क्या सही है।

अम्मी का मन पहचान लेता,

उसके बच्चों के लिए क्या गलत क्या सही है।

 

तुझे आंसू देकर मेरे लबों पर खुशी गवारा नहीं,

तेरे लब मुस्कुराएं तो मेरे आंसू भी बेसहारा नहीं।

तेरी हर बात सर आंखों पर रखूं,

या अपना सिर तेरे पैरों में रखूं बात वही है।

अम्मी का मन पहचान लेता,

उसके बच्चों के लिए क्या गलत क्या सही है।

 

फ़क्र करने के लिए मेरे सिर पर तेरा हाथ ही काफ़ी है,

नाकामयाबियों को भुलाने के लिए तेरा साथ ही काफ़ी है,

तेरे संग- ही चलना है माँ,

वो नदी भी सागर हो जाती जो सागर में मिलकर बही है।

अम्मी का मन पहचान लेता,

उसके बच्चों के लिए क्या गलत क्या सही है।

 

तुझे अपना रहनुमा कहूं या पाक खुदा कहूं,

तुझे अपनी दुनिया कहूं या दुनिया से जुदा कहूं,

बुलबुला होकर भी मौजूद हूँ,

अशीश की हस्ती1 तेरी पनाह में सदा महफ़ूज़2 रही है।

अम्मी का मन पहचान लेता,

उसके बच्चों के लिए क्या गलत क्या सही है।

 

1.existence 2.safe


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