आत्म विस्मृत
आत्म विस्मृत
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भविष्य के प्रति
मेरा स्वच्छंद हृदय
मुक्त गगन में विचरने लगा
फिर अपनी चिन्ता छोड़
सकल विश्व की चिन्ता करने लगा!
आत्म विस्मृत हो
सोच कर भविष्य के प्रति
हो गया भयभीत
कितना सच है/कितना झूठ
फटने को हो ज्यों ज्वालामुखी
यूं हो रहा है प्रतीत
कोई देश, हड़पने को लालायित
दूसरे देश की भूमि
जन संहार के लिए भी उद्यत है
आधुनिक शस्त्रों से होकर लैश
युदधाभ्यास में रत है
फिर कहां होगी शान्ति और स्थिरता
युद्ध के परिणाम से हर कोई अवगत है?
बहादुरी और भीरूता
क्या शस्त्रों से मापी जाती है?
अब आगे मैं क्या कहूं
मुझे भी शर्म आती है!