आरजू
आरजू
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अब ना आरजू है तुमसे मिलने की,
ना ख्वाईश है तुमको रिझाने की,
तमन्ना तो थी कि हमारी भी
एक कहानी हो,
ना नजर लगे जिसको वो रवानी हो,
लेकिन शायद ना ये तकदीर
को मंजूर होगी,
या हमारी दुआ तुम्हारे लिये
किसी से कम होगी।