STORYMIRROR

Gurudeen Verma

Others

4  

Gurudeen Verma

Others

आप और हम

आप और हम

1 min
255


आप हैं बहिर्मुखी और हम हैं अंतर्मुखी,

क्योंकि आप महशूर हैं और हम गुमनाम।

आप हर एक में हो और हम सिर्फ खुद में ही,

क्योंकि आप खुदा हैं और हम सबसे जुदा।

आप मालिक हैं और हम हैं सेवक ,

क्योंकि आप राजा हैं और हम हैं आवाम।


आप हैं महलों की शोभा और हम हैं झुग्गी वासी,

क्योंकि आप हैं दौलतमंद और हम हैं खोटा सिक्का।

आप प्रज्ज्वलित हो रात में और हम हैं बुझते दीपक,

आपके साथ रोशनी हैं और हमारे साथ अंधेरी रात।

आप अगाड़ी हो रफ्तार में, हम पिछड़े हैंं दौड़ में,

आप दौड़ाते हो अपनी गाड़ी, हम चलाते हैंं अपने पैर।


आप सागर हो जल के, हम एक बूंद हैं नीर की,

आप हो आँखों के नूर, हम हैं आँखों के अश्क।

आप खरीद सकते हो सब कुछ, हम बेच देते हैंं सब कुछ,

आप पाने हो अपनी हुकूमत, हम बचाने को अपनी जान।

आप हैं अनमोल मोती जमीं पर, हम हैं रज चरणों की,

बोलो कैसे कर सकते हैंं हम जीवन में आपकी बराबरी।


आप पर फिदा हैं दुनिया, हम पर मेहरबां मुफलिसी,

आप सूरत हो मूरत की, हम पत्थर हैं बिन तराशे।

कैसे पा सकते हैंं हम ,आपकी तरह ऊंचा मुकाम,

क्योंकि गूंजती है आवाज सभाओं में ,

और दब जाती है हमारी आवाज उस शोर में, 

आपकी होती जय जयकार , जिन्दाबादी में।


Rate this content
Log in