“वक़्त की हर साज़ पे लगाती ठुमका फिर ज़िन्दगी, बहारें इश्क़ की इश्क़ के हर नज़ारे होते”, “वक़्त की हर साज़ पे लगाती ठुमका फिर ज़िन्दगी, बहारें इश्क़ की इश्क़ के हर नज़ारे होत...
आदतें कैसे ज़िन्दगी पर असर करती हैं, यह दर्शाती एक कविता...! आदतें कैसे ज़िन्दगी पर असर करती हैं, यह दर्शाती एक कविता...!
लत नहीं तो क्या था जिसके लिए इंसा दिन रात जुटा रहता है लत नहीं तो क्या था जिसके लिए इंसा दिन रात जुटा रहता है
रोज उठकर सबेरे पेट के जुगाड़ में, क्या न क्या करता रहा है आदमी बाजार में। रोज उठकर सबेरे पेट के जुगाड़ में, क्या न क्या करता रहा है आदमी बाजार में।