दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई कैसी यह दुनिया बनाई ! दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई कैसी यह दुनिया बनाई !
सृजन...। सृजन...।
भावनाओं को ना बताएँ, तो मन सताता है... भावनाओं को ना बताएँ, तो मन सताता है...
कृति विकृत क्यूँ ? कृति विकृत क्यूँ ?
मौसम से जल्दी, अब रिश्ते बदलते हैं...! मौसम से जल्दी, अब रिश्ते बदलते हैं...!