यादें
यादें
चिन्तन के चौपाल सी चलती यादें
खुशनुमा यादें झकझोरती यादें
तार से तार बुन बनाया आशियाँ
सहज, सरल, चैन, आराम थी यादें।
बसती सुरिभ सुमन में जैसे
झूमती, मुस्काती गुनगनुनाती थीं यादें
यादों की साँसें यादों का बन्धन
यादें जीवन में यादों का जीवन।
मंजिल पाकर भी जब सुकून न मिला
छलनी हुई रुह पीछे टूटे नाते
तब चित्र उतरा चित्त में
उतरी जो गहरी यादें
बेर्दद, बेचैन, बोझिल बेमुरव्वत हुई यादें।
यादें बेलगाम, बेतकल्लुफ बेगैरत
भटकती नैन भरती बेवक्त
सब बिछड़े यादें न बिछड़ी
इनमें न खोना भ्रमजाल सी भटकाती।