विश्व की एक नारी
विश्व की एक नारी
विश्व पूरा निर्भर है उसपर
है व्यक्तिव उसका बहुत सरल
ममता से सम्पन्न है वो
कोई ना समझो उसे दुर्बल
सीता की भाँति पत्नी है वो
है वो पांडवों की कुंती
धर्म को सौभाग्य मानने वाली
है वो एक द्रौपदी
निश्चल है मन उसका
है वो संयमी मनोहारी
आँखे त्याग देने वाली
है वो एक गांधारी
कोई ना करो उपहास उसका
है सीधी सी सरल वो
स्वाभिमान है वो सबका
एक स्त्री है सबल वो
माँ यशोदा है वो
कार्य के प्रति है योद्धा वो
दूष्टों के लिए है मां काली
है वो विश्व की एक नारी
