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Ketan Bagatharia

Romance

3  

Ketan Bagatharia

Romance

निशा

निशा

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सावली शर्मीली नार,

निकलती दिन ढलने बाद /

निकलती तू धीरे धीरे,

बादलो में अपना चेहरा छुपाके /


लहराती हुई आँचल धीरे धीरे, 

ढकती मोहिनी सुरत होले होले /

टीमटीमाते तारे आशिक है सारे,

कई जल मरते हैं, तेरी चाहत में बेचारे /


तुझे पाने कि ख्वाहिश में,

चंदा बदलता अपनी कलाए,

तेरे विरह में वह अपना तन खोए,

पाके तुझे फुला न समाए /


तेरे रुप की क्या तारीफ करुं,

तेरी सुरत है मोहिनी-

देखके तुझे सारा जग सोये,

लेकिन-

तेरे आशिक सारे जल मरते /

जब तू छिप जाती...


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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