None
बिसरे मृत्यु के क़हर अनगिनत बसंत के सौन्दर्य में उन्मादित मन को बिसरे मृत्यु के क़हर अनगिनत बसंत के सौन्दर्य में उन्मादित मन को
अनंत भावनाओं के पुष्प अर्पित होते जिन्हें... अनंत भावनाओं के पुष्प अर्पित होते जिन्हें...
संदीपनि ऋ्षि आश्रम मिले दो मित्र एक ग्वाल पुत, दूजा ब्राह्मण सुत। संदीपनि ऋ्षि आश्रम मिले दो मित्र एक ग्वाल पुत, दूजा ब्राह्मण सुत।
आशंकित है मन परोपकारिता से .. कहीं यह फिर से किसी धोखे का आगा़ज तो नही। आशंकित है मन परोपकारिता से .. कहीं यह फिर से किसी धोखे का आगा...
इस कोलाहल की नगरी में, बस एकाकीपन का ज्ञान नहीं ! इस कोलाहल की नगरी में, बस एकाकीपन का ज्ञान नहीं !