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मुझे पता नहीं कैसे कर लेते हो तुम हर समय हर जगह एलान-ए-इश्क़। मुझे पता नहीं कैसे कर लेते हो तुम हर समय हर जगह एलान-ए-इश्क़।
तुम बरसाती नदी के जैसे बहते हो मैं एक पत्थर के माफ़िक़ खड़ी रहती हूँ । तुम बरसाती नदी के जैसे बहते हो मैं एक पत्थर के माफ़िक़ खड़ी रहती हूँ ।
जबतक, बर्फ़ की मोटी चादर मुझे अपने आग़ोश में भरकर सुला ना दे…! जबतक, बर्फ़ की मोटी चादर मुझे अपने आग़ोश में भरकर सुला ना दे…!
छोड़ देती हूँ तुम्हें उड़ने को ऊँचे आकाश में छोड़ देती हूँ तुम्हें उड़ने को ऊँचे आकाश में
मैं चलूँगा, मैं सुनूँगा, मैं जियूँगा, मैं उठूँगा, मैं बैठूँगा एक मौन स्वीकृति के साथ . मैं चलूँगा, मैं सुनूँगा, मैं जियूँगा, मैं उठूँगा, मैं बैठूँगा एक मौन स्वीकृति...