कहानीकार
ये शक्ति है मुझमें किंतु सृष्टि चलती रहे और सभ्यताएँ फैलती रहें इसलिए मैं स्वयं ही डूबती हूँ और ... ये शक्ति है मुझमें किंतु सृष्टि चलती रहे और सभ्यताएँ फैलती रहें इसलिए मैं स्व...
मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हूँ माँँ...! मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हू...
मैं भटक-भटककर तलाशती हूँ थोड़ी धूप थोड़ी छाँव थोड़ी जमीन खड़े रहने लिए जो माँ के जाने के बाद मुझे ... मैं भटक-भटककर तलाशती हूँ थोड़ी धूप थोड़ी छाँव थोड़ी जमीन खड़े रहने लिए जो माँ क...
बड़ा तो आकाश है लेकिन आश्रय धरा ही देती है बड़ा तो सागर है लेकिन प्यास नदी ही बुझाती है ! बड़ा तो आकाश है लेकिन आश्रय धरा ही देती है बड़ा तो सागर है लेकिन प्यास नदी ही...
प्यास बुझाने के लिए तो दिल की निर्झरणी से बहती हुई प्रेम-धार की एक बूंद ही काफी है | प्यास बुझाने के लिए तो दिल की निर्झरणी से बहती हुई प्रेम-धार की एक बूंद ही का...
और जीती हूँ जीवनभर शालीनता के पिंजरे में घुट-घुट कर | और जीती हूँ जीवनभर शालीनता के पिंजरे में घुट-घुट कर |
किंतु बेटे के श्राद्ध – तर्पण को हाथ नहीं लगाऊँगा ! किंतु बेटे के श्राद्ध – तर्पण को हाथ नहीं लगाऊँगा !
सोचती हूँ खिड़की से ही सही पर क्या मैं देख पाऊँगी उस चिनार को अपनी अंतिम साँस के पहले एक बार ! सोचती हूँ खिड़की से ही सही पर क्या मैं देख पाऊँगी उस चिनार को अपनी अंतिम साँ...
अब प्रेम के लुट जाने के बाद बचा ही क्या है हमारे घर में जो चाबियों को रखा जाये संभाल कर...! अब प्रेम के लुट जाने के बाद बचा ही क्या है हमारे घर में जो चाबियों को रखा जाय...
इस कम्प्यूटर युग में उसके सपनों का महत्व ही क्या है ! इस कम्प्यूटर युग में उसके सपनों का महत्व ही क्या है !