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कितनों ही को दंश, दिया, तब उसने जाना, जग का पालनहार, वही, तब उसने माना कितनों ही को दंश, दिया, तब उसने जाना, जग का पालनहार, वही, तब उसने माना
सीता पुत्री जनक की, लव-कुश की थी माई। छाया थी वो राम की, वन में पीछे आई।। सीता पुत्री जनक की, लव-कुश की थी माई। छाया थी वो राम की, वन में पीछे आई।।
राम नहीं कोई इंसान। राम नहीं कोई इंसान। प्रगटे हैं भू पर भगवान।। राम नहीं कोई इंसान। राम नहीं कोई इंसान। प्रगटे हैं भू पर भगवान।।
सोचती हूं मैं... इंतजार का यह, लंबा समय कैसे कटेगा? सोचती हूं मैं... इंतजार का यह, लंबा समय कैसे कटेगा?
अलसाई सी, अभी नींद में, अँखियाँ मैंने, थीं, खोलीं। अलसाई सी, अभी नींद में, अँखियाँ मैंने, थीं, खोलीं।
छोड़ विदेशी भाषा, हिंदी भाषा अपनाऐं। पढ़ना-लिखना सीखें हिंदी, गीत इसी के गाऐं।। छोड़ विदेशी भाषा, हिंदी भाषा अपनाऐं। पढ़ना-लिखना सीखें हिंदी, गीत इसी के गाऐ...