संदीप राज़ आनन्द इलाहाबाद विश्वविद्यालय
चलो आनन्द की गलती बता दो बिना जाने ही इतना कह रही हो। चलो आनन्द की गलती बता दो बिना जाने ही इतना कह रही हो।
उसने अपने दोनों हाथों की परिधि को बढ़ाते हुए कहा, इतना. उसने अपने दोनों हाथों की परिधि को बढ़ाते हुए कहा, इतना.
जब वह किसी खुशबू को महसूस करता है तो उसके मज़दूर बाप के देह की गंध उसके नाकों में जब वह किसी खुशबू को महसूस करता है तो उसके मज़दूर बाप के देह की गंध उस...
लेकिन यह मजदूर नहीं रहता महल में ना ही खाता है अपना रोपा हुआ धान लेकिन यह मजदूर नहीं रहता महल में ना ही खाता है अपना रोपा हुआ धान