Azaad
इन अंधों की बस्ती में, तुझे हर एक शख्स सिर्फ एक इंसान समझता है। इन अंधों की बस्ती में, तुझे हर एक शख्स सिर्फ एक इंसान समझता है।
ऐ ज़िन्दगी, ये कैसे मोड़पर लाके छोड़ गई वो मुझको। ऐ ज़िन्दगी, ये कैसे मोड़पर लाके छोड़ गई वो मुझको।
जाने कब भरोसा मेरा ही भरोसा तोड़ के निकल जाए। जाने कब भरोसा मेरा ही भरोसा तोड़ के निकल जाए।
पहरे पर, क्यों जगा जाती है, दर्द मेरे दिल का। आखिर क्यों ? पहरे पर, क्यों जगा जाती है, दर्द मेरे दिल का। आखिर क्यों ?
फिरता हूँ वक़्त के साथ दर बदर की ठोकरों में, जाने किस वक़्त ये वक़्त मुझे थामे मंज़िल पाने के लिए।। फिरता हूँ वक़्त के साथ दर बदर की ठोकरों में, जाने किस वक़्त ये वक़्त मुझे थामे मंज़...