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सुझती नहीं उसको भावनाएँ , सुझती नहीं तेरी चिन्ताआएँ। सुझती नहीं उसको भावनाएँ , सुझती नहीं तेरी चिन्ताआएँ।
बना देते थे गुड़िया और गुड्डा सजा के उसमें बैठा देते थे बना देते थे गुड़िया और गुड्डा सजा के उसमें बैठा देते थे
कह कर भी कुछ कह ना सकती होता कुछ ऐसा एहसास भूल ना पाते हैं कह कर भी कुछ कह ना सकती होता कुछ ऐसा एहसास भूल ना पाते हैं
हो क्या गया इन बादल को धरती पर ना बिखरते हैं।। हो क्या गया इन बादल को धरती पर ना बिखरते हैं।।