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ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया। ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया।
मधुर मिलन होने को है, खड़ी शोभा सकुचाने लगी है। लौकिक छटा निहारे अंबर, अब तो धरती मधुर मिलन होने को है, खड़ी शोभा सकुचाने लगी है। लौकिक छटा निहारे अंबर, ...
यूँ तो गंगा का समय भी स्वयं विस्तृत आकार है , गंगा हर युग में हर काल में लेती चरणब यूँ तो गंगा का समय भी स्वयं विस्तृत आकार है , गंगा हर युग में हर काल में ...
बंद किए थे तुम्ही तो थी हां ! अवसर तुम्हीं तो थी। बंद किए थे तुम्ही तो थी हां ! अवसर तुम्हीं तो थी।
चल रही थी हवा आंधी बनकर खुद को जलाए रखने को वह लड़ रहा था चल रही थी हवा आंधी बनकर खुद को जलाए रखने को वह लड़ रहा था