जो देखता हूं वही लिखता हूं ।
हसीन फूल रंगीन क़बाओ को तराशे हुए निकल पड़े है राह-ए-इश्क़ मुस्कराते हुए. हसीन फूल रंगीन क़बाओ को तराशे हुए निकल पड़े है राह-ए-इश्क़ मुस्कराते हुए.
सर पे ही आ गिरे मासूमों पे उछाले हुए पत्थर। सर पे ही आ गिरे मासूमों पे उछाले हुए पत्थर।
क्या वज़ह है क्यूं मुस्कराया जा रहा है कौन जाने अब क्या छुपाया जा रहा है. क्या वज़ह है क्यूं मुस्कराया जा रहा है कौन जाने अब क्या छुपाया जा रहा है.
अभी-अभी तो हमनें दरिया में उतारी औऱ वो आ गए है कश्तियाँ डुबाने को। अभी-अभी तो हमनें दरिया में उतारी औऱ वो आ गए है कश्तियाँ डुबाने को।