कहानी, कविता, आलेख, पत्रलेखन एवम् यात्रा वृतांत इत्यादि के क्षेत्र में मौलिक लेखन
आज मैं जाने को तैयार हूँ पर कहीं से भी उसकी आवाज नहीं आती। आज मैं जाने को तैयार हूँ पर कहीं से भी उसकी आवाज नहीं आती।
पीत वर्ण के खिल गए फूल। उड़ती रंग रंगीली धूल।। पीत वर्ण के खिल गए फूल। उड़ती रंग रंगीली धूल।।
याद आ रहा है वो गुजरा जमाना। मुझे यूँ बुला के खुद उनका ना आना। याद आ रहा है वो गुजरा जमाना। मुझे यूँ बुला के खुद उनका ना आना।
बस इसी धुन में आजकल मैं बहुत लिखने लगी हूँ बस इसी धुन में आजकल मैं बहुत लिखने लगी हूँ
यह पूरब से पश्चिम की है या उत्तर से दक्षिण की है। यह पूरब से पश्चिम की है या उत्तर से दक्षिण की है।