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एक गुम से शमा में कुछ पल के लिए मैं खुद को गुमनाम बना रहा हूँ। एक गुम से शमा में कुछ पल के लिए मैं खुद को गुमनाम बना रहा हूँ।
और जो मूर्ति बनाकर पूजता है तेरी, उसे सड़को पर रहते देखा हैं।। और जो मूर्ति बनाकर पूजता है तेरी, उसे सड़को पर रहते देखा हैं।।
तू क्यों सुनता है किसी की, कर ना अपने मन की। तू क्यों सुनता है किसी की, कर ना अपने मन की।
ज़हर कितना छिपाये बैठे हैं वो। ज़हर कितना छिपाये बैठे हैं वो।
वो कल की यारी बहुत सच्ची थी, वो आज टूट गयी है, इतनी कच्ची थी। वो कल की यारी बहुत सच्ची थी, वो आज टूट गयी है, इतनी कच्ची थी।
मन मे मेरे उदासी तो है, पर बातों में थोड़ी कम रखता हूँ। मन मे मेरे उदासी तो है, पर बातों में थोड़ी कम रखता हूँ।
पैसों को बचा कर, मन की ख्वाहिशों को दबा कर, बाज़ारो से मैं गुमनाम सा होकर निकलता हूँ। पैसों को बचा कर, मन की ख्वाहिशों को दबा कर, बाज़ारो से मैं गुमनाम सा होकर निकलता ...