मेरी कविताओं का उद्गम स्थल, मेरा अंत:करण । सरिता सी सहज बहती, लिए संवेदनाओं की धारा !
अब के बरस तुम देख लेना ऐसी होली खेलूँगी मैं। अब के बरस तुम देख लेना ऐसी होली खेलूँगी मैं।
विफलता का जब हो आभास देख चींटी का अथक प्रयास। विफलता का जब हो आभास देख चींटी का अथक प्रयास।
सीने में हो जिसके वात्सल्य बेशुमार, ममता और दया से सिंचित तेरा प्यार| अदम्य साहस दर्शाती तुझ म... सीने में हो जिसके वात्सल्य बेशुमार, ममता और दया से सिंचित तेरा प्यार| अदम्य...
हस्तिनापुर की भरी सभा में, कुलवधु द्रौपदी पुकार रही। हस्तिनापुर की भरी सभा में, कुलवधु द्रौपदी पुकार रही।