अधिकार
अधिकार
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सैकड़ों पर भारी पड़ेंगे
कई लाख लोग
लेकिन उन्हें नहीं पता
हम लाखों में हैं
वे सैकड़ों में मात्र ...।
स्पार्टन - सा दृढ़ होकर भी
अधिकार माँगते हैं !
हज़ार सालों का इतिहास पता है, लेकिन
क्या ख़ुद को जानते हैं?
आधी खुली खिड़की के पीछे से
देखते हैं अपने अधिकारों का रौंदा जाना !
इनसे कैसे पाऐं पार?
पैने दाँत लिऐ भूखे शिकारी
अधिकार छीनने को तैयार
कहते -2 विवश होकर
रो पड़ा - एक आम आदमी
आँसू पोंछते हुऐ पूछा -
' मजदूरों का पसीना सूखने से पहले
भला मजदूरी उन्हें कहाँ मिलती है?