लड़की हँसना भूल गई है
लड़की हँसना भूल गई है
उसने कहा लड़की से
संभल कर चला करो
बहुत टेढ़े-मेढ़े हैं ज़िंदगी के रास्ते
लड़की ने कहा मैं तो हिरनी हूँ
कुलाचें मार नाप लूँगी पृथ्वी
और जोर से हँस दी लड़की
उसने समझाया लड़की को
छत की मुंडेर पर यूँ न बैठे
तब लड़की बोली
मैं तो गौरैया हूँ
पंख फैला उड़ जाऊँगी आसमान में
और खिलखिलाती रही देर तक
उसने ताकीद की कि,
अँधेरा घिरने पर
न आऐ-जाऐ सूने रास्तों पर
वो तुनक कर बोली
चाँद-सितारे तो मेरी सहेलियाँ हैं
मैं आकाश गंगा की सैर कर आऊँगी
उसने टोका लड़की को
शहर एक जंगल है
जिसमें आदमी का चेहरा लगा कर
घूमते हैं वनैले पशु
वो कहने लगी
तो क्या हुआ मैं तो गिलहरी हूँ
फुदक कर चढ़ जाऊँगी
पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर
हमेशा हँसती रही, खिलखिलाती रही लड़की
एक दिन जब
सूरज छिप रहा था पहाड़ के पीछे
शहर से दूर पुरानी पुलिया के पास
लड़की उदास कदमों से ठहरी लड़के के पास
उसके चेहरे पर फैला था
आसमान का सूनापन
आँखों में उगा हुआ था कटीला जंगल
देर तक ख़ामोश रही वो
फिर जैसे धरती के गर्भ से आवाज आई
तुम ठीक कहते थे।