मैंने प्रेम किया
मैंने प्रेम किया
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मैंने प्रेम किया
आखेटक की तरह
तैयार किऐ अस्त्र-शस्त्र
मेहनत से बाँधा मचान
ठीक किऐ सब कील-काँटे
पैने किऐ तीर और
खींच कर परखी कमान
रेशम के महीने धागे से बुना जाल
और बिछा दिया उसके रास्ते में
भरमाया उसे प्रेम के "मृग जल" से
अंततः किया उसकी देह का संधान
मैंने प्रेम किया
प्रेम का अभिनय करते हुऐ।
