पास मेरे यही झोपड़ी ही सही
पास मेरे यही झोपड़ी ही सही
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पास मेरे यही झोपड़ी ही सही
आओ इसमें बसेरा बसाते हम
रात को चांदनी लाएगी रोशनी
साथ में कोई दीपक जलाते हैं हम
देह दो हों हमारी पर इक प्रान हो
एक हो गीत और एक ही तान हो
साथ तेरा मिले द्वार कलियाँ खिलें
कोई कोयल को मिलकर बुलाते हैं हम
सात फेरे निभायेगे सातों जनम
हम तुझी पे शुरू हम तुझी पे खतम
बंदिशे तोड़कर राह को मोड़कर
आओ नदिया के उस पार जाते हम ...