ग़ज़ल
ग़ज़ल
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फिलहाल तो आराम से करिये आराम की बातें
अब पांच साल बाद करियेगा अवाम की बातें।
जिन्होंने मूंगफलियों खा के वक़्त काटा हो
उनके सामने बेकार हैं बादाम की बातें।
जो एक पैग के बाद लुढ़कने लगते हैं
वो कर रहे हैं आज जाम पे जाम की बातें।
एक से एक कांड करने के साथ-साथ
वो बेहयाई से कर रहे हैं धाम की बातें।
राम जी बार-बार वनवास को लौट जाते हैं
जब भी इनके मुंह से सुनते हैं राम की बातें।