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Adarsh Kumar

Others

5.0  

Adarsh Kumar

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पत्र बनाम व्हाट्सएप्प

पत्र बनाम व्हाट्सएप्प

2 mins
489


फोन पर सन्देश आने की प्रतीक्षा

पत्र के प्रत्युत्तरों से कम नहीं है।


दूर बैठे आस में नेटवर्क आये

कुछ खबर ले

आज ये नेटवर्क ही तो डाकिये

का काम करता

हो समय अनुकूल यदि पल में

सुनाता हाल आकर

और यदि प्रतिकूल हो तो फिर

सुबह की शाम करता

ऑनलाइन देखना मधुमास है यदि

ऑफलाइन पतझरों से कम नहीं है।


बैठकर अट्टालिका पर मार्ग में नज़रें

बिछाए

डाकिये की आहटों पर आस लेकर

मुस्कराना

कुछ पलों की प्रतीक्षाएँ भी युगों से

कम नहीं हैं

याद करना, सोचना, फिर बेबसी,

आँसू बहाना

हो रहा बेजार मन यदि तो इमोजी

मील के सौ पत्थरों से कम नहीं है।


पूर्व के संवाद पढ़ना सब प्रतीक्षा के

पलों में

पोटली ज्यों पत्र वाली खोलकर के

बांचना है

और कैसी हो कहाँ क्या कर रही हो,

प्रश्न उत्तर

दिन गया कैसा रसोई में तुम्हारी

क्या बना है

शाब्दिक ये चित्र हैं रक्षित जहाँ पर

वह जगह पूजा घरों से कम नहीं है।


सब प्रतीकों से सजे सन्देश पढ़ते

मुस्कराते

दो नयन में दिल बने थे प्रीत का

उत्कर्ष पढ़ते

चुम्बनों के चित्र अरुणिम दिल

गुलाबी भावनाएं

और कविता रूप में मन का अ

परिमित हर्ष पढ़ते

भावनाओं से सजा सन्देश कोई

पत्र वाले अक्षरों से कम नही है।


ये प्रतीक्षा प्रेम-ग्रंथों का वही सोपान

है जो

नियत है पढ़ना पड़ेगा पत्र या सन्देश

हों फिर

हों युगल चाहे नगर में ही नियति ये

ही रहेगी

या समंदर पार के बदले हुए परिवेश

हों फिर

कुछ पलों का प्रेम जीना साथ में

भाग्य के शुभ-अवसरों से कम नहीं है।



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