मेरी माँ 'ममता '
मेरी माँ 'ममता '
मेरी माँ का जीवन , त्याग की दास्ताँ है
ऐसा कौन है यहाँ , जैसी मेरी माँ है
जिसका साहस नहीं , शब्दों में बयां है
ऐसा कौन है यहाँ, जैसी मेरी माँ है।
बच्चों की खुशियों में जिसका जहाँ है
जिसकी गोद सुख -शांति की निशां है
वक़्त के थपेड़े सहकर भी न होंठों पर जिसके आह है
ऐसा कौन है यहाँ, जैसी मेरी माँ है।
हर मुश्किल से लड़ जाती है
झूठ से नहीं घबराती है
सच और साह्स जिसके रग-रग में बसा है
ऐसा कौन है यहाँ ,जैसी मेरी माँ है।
सिद्धांतों पर पर्वत सी अडिग है
अपने कर्त्तव्य पथ से कभी न विचलित है
हमारी पथ प्रदर्शक वो जननी, माँ है
ऐसा कौन है यहाँ ,जैसी मेरी माँ है।
जिसकी बोली स्नेहसिक्त है
जिसका हर कदम संतान के हित में निहित है
जिसके श्रम कणों से पल्लवित अपना जहाँ है
ऐसा कौन है यहाँ ,जैसी मेरी माँ है।
जिसका अंतस प्यार का दरिया है
जिसके रूप में साक्षात् रब ही बसा है
जिसकी ममता की नहीं कोई थाह है
ऐसा कौन है यहाँ , जैसी मेरी माँ है।