बारिश
बारिश
पत्तों पर ठहरी, कभी फिसलती हुई बूंदे,
बड़ी सुहानी सी है,
इस खुशनुमा मौसम में दिल में छुपी,
कोई कहानी सी है।
शीशे के बाहर के तूफान से,
भीतर के तूफान की कुछ रवानी सी है,
बूँदों की रुनझुन के साथ,
धड़कनों की धुन कुछ जानी पहचानी सी है।
बारिश के साथ गुम हो जाना,
अपनी आदत पुरानी सी है,
एक लम्हे में कई लम्हें जी लेना,
मौसम की मेहरबानी सी है।
पिघलती बारिशों में दिल की ज़मीन,
धुली-धुली सी है ,
धुआं -धुआं से मौसम में दिल की कली
खिली खिली सी है।
धरती पर बिखरती शबनम से,
कई आरजुएं मचली सी है,
सर्द हवाओं की दस्तक और फिजाओं में,
कई खुशबुएं मिली सी है।
गुनगुनाती वादियो ने छेड़ी,
एक ग़ज़ल नई सी है,
प्रकृति को अपनी पनाहों में लेने,
बारिश की लड़ियां घिरी सी है।