एक ज़माना था
एक ज़माना था
एक ज़माना था
जब मिट्टी का हर तरफ़
बोलबाला था,
बच्चे उसे खाया करते
महिलाएं बाल धोया करतीं
इलाज के लिए भी मुफीद रही मिट्टी ही
कुम्हार को प्रजापति इसलिए कहा गया
कि वह मिट्टी के बर्तन
पूरे गांव को देता था
कबीर ने उसकी बातें अपनी साखी में करीं,
ब्याह की शुरुआत में ही होती थी
मिट्टी की पूजा
एक ज़माना था
जब किसी के मिट्टी में
मिल जाने की खबर सुनकर लोग रोने
लग जाते थे
नाटक में भी मिट्टी की गाड़ी की बड़ी भूमिका थी
देश का नाम राष्ट्र नहीं मिट्टी होता था
हम सब बाहर से घर में प्रवेश करते समय
तनाव नहीं, मिट्टी छुटाते थे
खेतों की मिट्टी को माँ की तरह पूजा जाता था,
सबसे बढ़िया खिलौने मिट्टी के हाथी घोड़े होते थे
मिट्टी के घरों में ही रहते थे महापुरुष
मिट्टी की गंध नहीं मिली थी मिट्टी में
एक ज़माना था जब सूरज और चंद्रमा के
अलावा रौशनी बांटने का जिम्मा
दीपक का था
जिसमें मौज़ूद मिट्टी
कार्तिक की अमावस को बहुत उमंग में रहती थी।