आँख भर आकाश है
आँख भर आकाश है
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आप दूसरे की फड़फड़ाहट और छटपटाहट को तभी समझ सकते हैं
जब खुद आप पिंजरें में हो
समय की फिसलती रेत से मुट्ठी भर खुशियां छीनने का हक़ सबको है
एक नन्ही ख़ुशी की चाह जीवन के बड़े दुखों को ढांप लेती है
मगर सारी की सारी खुशियां सामाजिक दायरे से बाहर है
शायद कहीं दूर आकाश में
छीन सको तो छीन लो
आँख भर आकाश है
पंख अपने अपने हैं
अपना अपना हौसला है