पानी
पानी
पानी
पिछले दिनों मैंने सुना
मेरे लिऐ विश्व युद्ध होगा
दुनिया भर के मनुष्यों का आपस में
मुझ पर अधिकार के लिऐ जानलेवा झगड़ा
इतिहास में सबसे अधिक झगड़े सुन्दर स्त्री के लिऐ हुऐ
भारत में आल्हा - रुदल , पृथ्वीराज का इतिहास
नहीं पढ़ाया जाता , पर वे मिथकों में, जन श्रुतियों में,
लोक जीवन की कथाओं में उम्दा पात्र हैं
सीता के कारण लंका
और द्रौपदी के कारण महाभारत का युद्ध हुआ
पर मेरे कारण विश्व युद्ध होगा
सुनकर विश्वास नहीं होता
क्या मैं स्त्री से भी महत्वपूर्ण हूँ ?
क्योंकि हर महत्वपूर्ण और महान कार्य में
कहीं न कहीं एक कारक स्त्री होती है .
क्या मैं स्त्री हूँ ?
मैं कई दिनों से इसी सोच में डूबा हूँ .
शायद आदमी को लगता है ,
अब मैं उसे प्यार नहीं करता .
पर मैंने तो उसे हर किसी से अधिक प्यार किया है
स्त्री से भी अधिक,
हाँ , स्त्रियों में माँ का प्यार सर्वोत्तम
पर मेरा प्यार उस माँ से भी कम नहीं
जहाँ माँ भी नहीं होती ,
वहाँ भी मैं होता हूँ.
मैं तो माँ में भी होता हूँ ,
उसके सुख - दुःख के आँसुओं में भी
आदमी के ग्रहण करने से लेकर, त्यागने तक
उसके दूध से लेकर , पेशाब तक
उसके शौच से ,लेकर नहाने तक
उसके खाने से लेकर, पीने तक
उसकी मेहनत के पसीने तक
यहाँ तक कि,
उसके रक्त और लार में भी,
उसके साथ रहता हूँ
आदमी जानता है , मैं नहीं तो वो नहीं
फिर भी उसने कभी मेरे बारे में
गम्भीरता से नहीं सोचा
मैं जीवन से प्यार करता हूँ
और आदमी सिर्फ़ ख़ुद से प्यार करता है .
उसने सदा मेरा अपमान किया ,
मुझे दर - बदर किया .
मेरे हर सुन्दर रूप की हत्या की
पेड़ों की , जंगल की , कुँओं की , तालाबों की , नदियों की,
मिट्टी की ,
खाड़ी और समुद्र को भी नहीं बख्शा ,
उसने मेरे जीवन के हर द्वार बंद कर दिऐ
यहाँ तक कि घर के नाभदान को भी कंक्रीट कर दिया
ताकि मैं जरा भी छुपकर धरती की गोद में भी न रह सकूँ
मैं तो चाहता हूँ धरती की गोद में रहना ताकि
आदमी बुरे वक़्त में मेरा इस्तेमाल कर सके
पर उस सम्भावना को भी उसने खत्म कर दिया है .
जब आदमी लड़ेगा मेरे लिऐ युद्ध
तब भी मुझे पाने की लालसा में
मेरा ही क़त्ल कर रहा होगा ,
क्योंकि मेरे बिना उसका अस्तित्व ही नहीं है
मुझे बचाऐगा ,तभी आदमी भी बचेगा
अभी भी वक़्त है सँभल जा ऐ आदमी
तूने अभी तक मेरा प्यार देखा है
मेरी नफ़रत देखने की तुझमें हिम्मत नहीं है
तू क्या युद्ध करेगा ? उसके लिऐ भी शरीर में मेरा होना ज़रुरी है
आज मैं '' पानी '' ये ऐलान करता हूँ
अब मैं तुम्हारी सेवा या तुम्हें ''सेव'' तब तक नहीं करूँगा
जब तक तुम ख़ुद मेरी ''सेवा'' या मुझे ''सेव'' नहीं करोगे
मैं ''पानी'' आज ऐलान करता हूँ