ओवीबद्ध चरित्र : संत गगनगिरी महाराज
ओवीबद्ध चरित्र : संत गगनगिरी महाराज
गणपत विठाबाई दांपत्य | वारीसी करी नित्य |
'श्रीपाद' नाम अपत्य | जन्मासी आले वंशी ||१ ||
आठवे वर्षी घर सोडिती | नाथ पंथ दीक्षा घेती |
घराण्यातील असती | चालुक्य पहिला पुलंकेशी ||२ ||
चित्रानंद स्वामी चित्रकूट पर्वत | त्यांचे दर्शन होत |
व्यासगुंफेत पहुडत | श्रीपादस्वामी दमलेले ||३ ||
कफनीधारी सिद्ध येती | कमंडलूजल शिंपडिती |
हिरवा पाला खायला देती |म्हणती जावे दक्षिणेकडे ||४||
द्वारका जगन्नाथपुरी | अरवली कन्याकुमारी |
सातपुडा नीलगिरी |स्थाने देखिती श्रीपाद ||५||
अनेक वर्षे तप करिती | झाडाच्या डोलीत वसती |
भाजीपाला मुळे खाती | सिद्धावस्था पावती ते ||६||
जवळी करवीरी | स्थिरावी गगन गडावरी |
जन म्हणती गगनगिरी | प्रसिद्धी होतसे सर्वत्र ||७||
सर्व योगक्रिया अवगत | पाण्याच्या तळाशी जात |
जलतपस्या करीत | गगनगिरी महाराज ||८||
दर्शन मुंबई महालक्ष्मीचे | नंतर घ्या मुंबादेवीचे |
मुंबईच्या संपन्नतेचे | गूज सांगती गगनगिरी ||९||
खोपोलीस समाधी घेती | आजि पुण्यतिथी |
शंभर वर्षांहून जगती | गगनगिरी महाराज ||१०||
वैभव नमितो सद्गुरूनाथा | चरणी ठेवी माथा |
कृपा असावी सर्वथा | भक्तांवरी आपुल्या ||११||