ग्यारह साल की शीला भी धीरे-धीरे हालातों को समझने लगी थी ग्यारह साल की शीला भी धीरे-धीरे हालातों को समझने लगी थी
जिंदगी को जीने के लिए तजुर्बे और हालातों की जरूरत नहीं पड़ती। जिंदगी को जीने के लिए तजुर्बे और हालातों की जरूरत नहीं पड़ती।