आज संदूक खोला तो सामने नीली साड़ी मुस्कुरा रही थी जिसपर रूपहले धागों की कढाई तारों सी चमक रही थी, जो... आज संदूक खोला तो सामने नीली साड़ी मुस्कुरा रही थी जिसपर रूपहले धागों की कढाई तार...