यही सब ही तो भूत होते हैं जो हमारे चारों और होते हैं बस हम उन्हें पहचान नहीं पाते। यही सब ही तो भूत होते हैं जो हमारे चारों और होते हैं बस हम उन्हें पहचान नहीं पात...
शायद खीरे का हश्र देख कर ही कभी अपने मुख से कड़वे बोल नहीं निकाले। वो अंत तक गजबराम जी शायद खीरे का हश्र देख कर ही कभी अपने मुख से कड़वे बोल नहीं निकाले। वो अंत तक गजब...