लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास “वही है, बिल्कुल वही !” मेजर कवाल्योव बड़बड़ाया।........ लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास “वही है, बिल्कुल वही !” मेजर कव...
युद्ध से सिर्फ़ हानि ही होती है, मानवता हर तरह के युद्ध और दुश्मनी के ऊपर भारी पड़ जाती है I युद्ध से सिर्फ़ हानि ही होती है, मानवता हर तरह के युद्ध और दुश्मनी के ऊपर भारी पड़...
साल बीतने के साथ उसकी नफ़रत बढ़ती ही जा रही थी, जहां कहीं भी वर्दी में किसी जवान को देखता तो उसका खू... साल बीतने के साथ उसकी नफ़रत बढ़ती ही जा रही थी, जहां कहीं भी वर्दी में किसी जवान...