मेंढ़कों की टर्र टर्र भी जारी है न जाने अब किस मेंढक के इंसान बनने की बारी है। मेंढ़कों की टर्र टर्र भी जारी है न जाने अब किस मेंढक के इंसान बनने की बारी है।
लेखक : विताली बिआन्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : विताली बिआन्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
अब भी कभी पति-पत्नी के बीच में लड़ाई या चुहुल हो तो फिर से वो मेंढक और छिपकली ही बन जाते हैं। अब भी कभी पति-पत्नी के बीच में लड़ाई या चुहुल हो तो फिर से वो मेंढक और छिपकली ही...