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Akansha Tiwari

Children Stories

3  

Akansha Tiwari

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राजकुमारी और मेंढक

राजकुमारी और मेंढक

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बलसोरा के बादशाह का राज्य धनधान्य से पूर्ण था। किसी भी प्रकार की कोई कमी न थी। उनकी एक प्यारी-सी बेटी थी। उसके काले घुंघराले बाल, घनी पलकें, तीखे नयन-नक्श, हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट करते रहते थे।राजकुमारी के पिता उसके जन्मदिन पर हर वर्ष कोई न कोई सुंदर उपहार दिया करते थे। उसको उन उपहारों में सुनहरी गेंद बेहद प्रिय थी।खाली वक्त होने पर राजकुमारी अपने महल के बाहर सुंदर बगीचे में गेंद खेल कर मन बहलाया करती थी।

एक दिन राजकुमारी गेंद को जोर-जोर से उछालकर खेल रही थी। जैसे ही सूर्य की किरणों में गेंद चमकती थी, उसकी रोशनी चारों ओर फैल जाती थी। उस रोशनी को देखने में उसको बड़ा आनंद आ रहा था।

तभी गेंद अचानक जोर से उछली और बगीचे के बीचोंबीच बने कुए में जा गिरी और राजकुमारी रोने लगी।

फिर वही हुआ जो हमेशा से होता आया है एक मददगार की एंट्री !

लेकिन इस बार वो मददगार एक मेंढक था ,उसने उस राजकुमारी की मदद तो की पर बदले में एक शर्त भी रखी की वो गेंद तो लाएगा पर राजकुमारी को उसे अपने साथ अपने महल में रखना होगा। राजकुमारी न चाहते हुए भी हाँ कर बैठी क्यूँकि उसे अपनी वो सुनहरी गेंद जो चाहिए थी ,उसकी मनपसंद सुनहरी गेंद!  

मेंढक ने कुएँ से उसे वो सुनहरी गेंद निकल कर दे दी लकिन गेंद पाकर राजकुमारी ने अपना मन बदला क्यूँकि उसको जो चाहिए था उसे मिल गया।अब उसे उस बदसूरत से मेंढक की क्या जरूरत ! 

वो रोते हुए राजा के पास गयी और सारी बात बताई लेकिन राजा अच्छा और सच्चा था तो उसने कहा वादा तो वादा होता है चाहे किसी से भी किन्ही भी परिस्थितियों में किया जाये और राजकुमारी को मेंढक को अपने साथ रखना ही होगा।अब राजकुमारी मजबूर थी ,उस बदसूरत से मेंढक को साथ रखने के लिए वो करती भी क्या वादा जो किया था उसने।पर एक दिन गुस्से में आ के राजकुमारी ने उस मेंढ़क को जमीन पर फेंक दिया और फेंकते ही वो एक सुन्दर सा राजकुमार बन गया। उसने राजकुमारी को उस श्राप के बारे में बताया जिससे वो एक मेंढक बन गया था।फिर दोनों ख़ुशी-ख़ुशी साथ रहने लगे |

कुछ ऐसे ही हालत आज के मेंढक रुपी लड़को और राजकुमारी सी लड़कियों के भी है ,ये मेंढक हर राजकुमारी के पास टर्राते है टर्र टर्र .......और राजकुमारी भी उन्हें अपनी सुनहरी गेंद जैसी जरूरतों के लिए पसंद भी करती है| पर अपनी सुनहरी गेंद मिलने के बाद वादा तोड़ने में में भी नहीं चूकती ,कई बार तो मेंढक भी राजकुमारी को बदलने में वक़्त नहीं लगाते क्युँकि उन्हें उससे ज्यादा खूबसूरत और अच्छी राजकुमारी जो मिल जाती है तो वो पहली के द्वारा फेंके जाने का इंतज़ार क्यों करे| वो अपनी तलाश पूरी करने के लिए तब तक कुआ और राजकुमारी बदलते जब तक उन्हें वो राजकुमारी मिल न जाये जो उन्हें मेंढक से इंसान बना दे।

पर ये तलाश इतनी आसान नहीं है  क्युँकि न तो अब वो राजकुमारी है जो वादा निभाए, न वो मेंढक जो राजकुमारी द्वारा फेंके जाने का इंतज़ार कर पाए।

इसलिए ये तलाश भी अभी चल रही है और मेंढ़कों की टर्र टर्र भी जारी है न जाने अब किस मेंढक के इंसान बनने की बारी है।



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