हम चाय की प्याली में खोये हुए यह सोचते ही रह गए कि हम "वो" हैं हम चाय की प्याली में खोये हुए यह सोचते ही रह गए कि हम "वो" हैं
चाह कर भी कोई कुछ नहीं कर सकता, समाज में निरंतर बढ़ रहे अन्याय-अत्याचार के खिलाफ... यह लाचारी क्यों औ... चाह कर भी कोई कुछ नहीं कर सकता, समाज में निरंतर बढ़ रहे अन्याय-अत्याचार के खिलाफ....