मैं हूँ ना" डरो मत और एक बार फिर राहुल के सौहार्द भाव ने कविता को बाँहों में भरते संभाल मैं हूँ ना" डरो मत और एक बार फिर राहुल के सौहार्द भाव ने कविता को बाँहों में भरत...
अकेली ही जा कर झूले पर बैठ यादों के झोंको से खुद को झुलाने लगी। अकेली ही जा कर झूले पर बैठ यादों के झोंको से खुद को झुलाने लगी।
जरीना को समझ नहीं आया क्या करे। अंकल की आंखों में वासना घर कर चुकी थी। जरीना को समझ नहीं आया क्या करे। अंकल की आंखों में वासना घर कर चुकी थी।