बाबू लक्ष्मीदास के आँखों से अश्रु धारा फूट पड़ी। बाबू लक्ष्मीदास के आँखों से अश्रु धारा फूट पड़ी।
रोज़-रोज़ मिस्टर रस्तोगी का पुरुष दम्भ भी ना सह पाया रोज़-रोज़ मिस्टर रस्तोगी का पुरुष दम्भ भी ना सह पाया
आज वो अकेली रह गयी, अपनी अचीवमेंट्स के साथ ....! आज वो अकेली रह गयी, अपनी अचीवमेंट्स के साथ ....!