सूखे पत्तों की कड़कड़ भी तब लागे संगीत का सरगम है। सूखे पत्तों की कड़कड़ भी तब लागे संगीत का सरगम है।
जैसे ही किसी याद ने छू लिया पूरी तरह से उस से भर जाता है जैसे ही किसी याद ने छू लिया पूरी तरह से उस से भर जाता है