राजू जानवरों का चराता और फिर घर लाता। कहानी इसी तरह से रोज आगे को बढ़ती रहती है। राजू जानवरों का चराता और फिर घर लाता। कहानी इसी तरह से रोज आगे को बढ़ती रहती...
लज़ीज़ दावत लज़ीज़ दावत
बाद में ना जाने कितनी बार उस रास्ते से गुजरे किन्तु मखाई ने भूल कर भी जाते समय चन्दकला को कोई खुशबू ... बाद में ना जाने कितनी बार उस रास्ते से गुजरे किन्तु मखाई ने भूल कर भी जाते समय च...
लेखक: व्लादीमिर ओदयेव्स्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक: व्लादीमिर ओदयेव्स्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
कभी कभी वो रात और वो मंज़र याद आता है तो मेरा दिल दहल उठता है आखिर वो क्या था? कभी कभी वो रात और वो मंज़र याद आता है तो मेरा दिल दहल उठता है आखिर वो क्या था?