पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उसने उसको अपनी मुश्कि... पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उ...
वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है। वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है।
उन बातों की यादें ही अब मेरे अंदर कुछ चाट रही है उन बातों की यादें ही अब मेरे अंदर कुछ चाट रही है