वेलेंटाइन डे...

वेलेंटाइन डे...

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कहावत है न, दांत है तो चने नहीं, चने है तो दांत नहीं,
जहां ये बेचारे सिंगल वेलेंटाइन मनाने के लिए मरे जा रहे हैं।
कोई उधार ले रहा है। कोई पार्टटाइम जॉब के पैसे खर्च कर रहा है, कोई अपनी चीज़ें बेच रहा है तो कोई अपने बाप की पॉकेट मार रहा है।
इधर मैं साधन सम्पन्न मुँह ताक रहा हूँ काश कोई आये मेरे साथ वेलेंटाइन मनाये। आखिर भागदौड़ करके सबके लिए इतने पैसे जोड़ रहा हूँ, कुछ पैसा तो अपनी खुशी के लिए भी तो खर्च करूँ।
है न, घर पर पत्नी भी है, पर क्या है कि वो इतनी सुंदर नहीं, मॉडर्न नहीं है। लेकिन ज़माने के साथ कदम मिला कर चलना नहीं जानती और बच्चों की परवरिश में अपने अरमानों का ध्यान रहा ही नहीं।

अरे, ये आजकल के लौंडे क्या जाने, एक लड़की की भावनाएं। मैं अनुभवी हूँ, तुम्हें देखते ही समझ जाता हूँ कि तुम्हारी खुशी किसमें है? तुम्हारी खुशी, मेरी ख़ुशी।
चॉकलेट डे पर चॉकलेट चाहिए? चॉकलेट का कार्टन भिजवा दें। टैडी डे पर टेडियों की लाइन लगवा दें। बस प्रोमिस डे को पक्का वादा मिलना चाहिये कि...
किस डे को ढेर सारी किसिंग होगी। हग डे को बेझिझक 'बाँहों में चली आ, हमसे सनम क्या पर्दा...'
...और वेलेंटाइन को वह सब कुछ, जिसके लिये इतने पापड़ बेल रहा हूँ। रूम कैसा होगा? वो तुम्हारी क्वालिटी, नखरे और मेरे जूनून के हिसाब से स्वविवेक से तय हो जायेगा।
बस इतना ही चाहिये।
इसके अलावा कुछ नहीं, कोई ज़िन्दगी भर साथ का वादा नहीं, कोई मुगालता नहीं, नौ महीने बाद 'बाल दिवस' को बच्चा तो हरगिज नहीं। इस मामले में मैं बड़ा प्रेक्टिकल हूँ जी, वो क्या है न, घर परिवार लेकर बैठा हूँ।
अब क्या है कि तुम जवान हो, मैं भी जवान ही हूँ। कुछ मेरे अरमान तो होते ही है।

समझा करो। ये अलग घर, दूसरी पत्नी सब कहने में आसान है। हकीकत में इसे मैनेज करना बहुत मुश्किल है। तुम को तुम्हारी जोड़ी में ही कुछ जमता हुआ लड़का तलाशना चाहिये। अरे, अपने घरवालों की सुनो। वे तुम्हारे हमदर्द है, तुम्हारे लिये हमेशा अच्छा ही सोचेंगे।
यार, तुम तो कुछ समझ ही नहीं रही हो, लो अब तुम हकीकत सुनो। तुम खुद मजबूत डाल ढूंढ रही थी। तुम्हें मज़े वाली ज़िन्दगी चाहिए थी, मिल गया न मज़ा। तुम्हारे मज़े के पीछे मेरा कितना नुकसान हुआ है, वो तो मैं गिनवा ही नहीं रहा हूँ। मेरे काम के कितने ही घण्टे तुम पर बर्बाद हुए है। मैंने जितना खर्च तेरे लिये किया है न, उसका 5% भी अपनी पत्नी पर करता न तो वो मेरे चरण धो धो के पीती। तू उसका क्या मुकाबला करेगी। तुझ में उसके जितना आधा समर्पण भी नहीं है। तूने ये...
तूने वो...। 
हाँ... हाँ... ठीक है। ठीक है। तेरे जैसी छत्तीस आती है।
चलो पीछा छूटा। दिमाग खराब कर दिया साली ने। अजीब लड़की है। दुनियादारी तो समझती ही नहीं है। अगर इससे शादी हो जाती तो निभाना मुश्किल ही होता।
पक्का! इसको ले जाने वाला रोयेगा ही रोयेगा।

चलो, अब काम की तरफ ध्यान देता हूँ, बॉस अब कुछ ज़्यादा ही गर्म होने लगा है।
अरे! ये लड़की कौन है? साधारण सूती सूट वाली। शक्ल भी ठीक है। लगता है, अभावों में जी रही है।  इसका आना जाना भी मेरे ऑफिस के रास्ते से है। ट्राय करता हूँ, उसके भी तो कुछ अरमान होंगे।
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