तुम कुछ भी कर सकते हो जादू
तुम कुछ भी कर सकते हो जादू
एक छोटे से शहर में जादू नाम का एक बहुत प्यारा बच्चा रहता था। जादू को नई चीजें करने में डर लगता था। वह हमेशा सोचता था, "क्या मैं यह कर पाऊँगा?"
जादू की एक बहुत अच्छी दोस्त थी, पिंटू। पिंटू बहुत बहादुर और हमेशा मुस्कुराती रहती थी।
जब भी जादू किसी काम को करने से डरता था, तो पिंटू हमेशा उसके पास आती और प्यार से उसकी तरफ देखती थी।
वह जादू का हाथ पकड़ती और मुस्कुराते हुए कहती थी, "तुम कुछ भी कर सकते हो जादू।"
एक दिन, स्कूल में 'ऊँचाई तक पहुँचने' की प्रतियोगिता थी। बच्चों को एक छोटी सी सीढ़ी पर चढ़कर ऊपर रखी घंटी बजानी थी।
जादू ने सीढ़ी को देखा। वह थोड़ी ऊँची थी। जादू के पेट में डर की गुदगुदी होने लगी। उसने सोचा, "ओह! मैं गिर जाऊँगा।"
जादू कोने में बैठ गया और उदास दिखने लगा। पिंटू ने उसे देखा और तुरंत उसके पास दौड़कर आई।
"क्या हुआ जादू?" पिंटू ने पूछा।
जादू ने सीढ़ी की तरफ इशारा किया। "मुझे डर लग रहा है, पिंटू। यह बहुत ऊँची है। मैं नहीं कर पाऊँगा।"
पिंटू ने जादू की तरफ देखा। उसने वही कहा जो वह हमेशा कहती थी: "तुम कुछ भी कर सकते हो जादू।"
"बस एक-एक कदम ऊपर रखो। मैं तुम्हारे पास खड़ी हूँ। तुम बहादुर हो।"
पिंटू के इन शब्दों से जादू को थोड़ी हिम्मत मिली। उसने गहरी साँस ली और सीढ़ी के पहले पायदान पर पैर रखा।
पिंटू नीचे खड़ी होकर उसे उत्साहित कर रही थी, "वाह जादू! एक और कदम!"
जादू ने धीरे-धीरे, एक-एक कदम करके सीढ़ी पर चढ़ना शुरू किया। उसका दिल थोड़ा तेज़ धड़क रहा था, लेकिन पिंटू की आवाज सुनकर उसे मज़बूती मिल रही थी।
अंत में, जादू सबसे ऊपर पहुँच गया और खुशी से "टिन-टिन-टिन" करते हुए घंटी बजा दी!
वह जल्दी से नीचे उतरा और पिंटू को गले लगा लिया। उसकी आँखें खुशी से चमक रही थीं। "मैंने कर दिखाया, पिंटू!"
पिंटू हँसी। "मुझे पता था। तुम कुछ भी कर सकते हो जादू, हमेशा याद रखना।"
उस दिन के बाद, जब भी जादू को कोई काम मुश्किल लगता था, तो वह पिंटू के शब्दों को याद करता था। और हर बार, वह कोशिश करता था और सफल होता था।
