झूठी महत्वाकांक्षी भाग-2
झूठी महत्वाकांक्षी भाग-2
पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था।
बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता।
इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया ।
ज़मीन, जायदाद, ज़ेवर सब गिरवी रख के 35 लाख रुपये दलालों को दिए, लेकिन अफसोस वहाँ धोखा हो गया।
अब क्या करें...?
लड़के को तो डॉक्टर बनाना है कैसे भी...!!
फिर किसी तरह विदेश में लड़के का एडमीशन कराया गया, वहाँ लड़का चल नहीं पाया।
फेल होने लगा..
डिप्रेशन में रहने लगा।
रक्षाबंधन पर घर आया और घर में ही फांसी लगा ली।
सारे अरमान धराशायी.... रेत के महल की तरह ढह गए....
20 दिन बाद माँ-बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा कर आत्म-हत्या कर ली।
अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा ने पूरा परिवार लील लिया।
माँ बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ...
मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को Topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं
कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है।
आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की Evaluation और Gradening ऐसे करती है, जैसे सेब के बाग़ में सेब की खेती की जाती है।
पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही Syllabus पढ़ाया जा रहा है ..
