Bhushan Kumar

Children Stories Inspirational

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Bhushan Kumar

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समस्याओं का बोझ

समस्याओं का बोझ

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  एक प्रोफेसर कक्षा में दाखिल हुए। उनके हाथ में पानी से भरा एक गिलास था। उन्होंने उसे बच्चों को दिखाते हुए पूछा- “यह क्या है?” छात्रों ने उत्तर दिया- “गिलास।” प्रोफेसर ने दोबारा पूछा- “इसका वजन कितना होगा ?” उत्तर मिला- “लगभग 100-150 ग्राम।” उन्होंने फिर पूछा- “अगर मैं इसे थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रहूं तो क्या होगा ?” छात्रों ने जवाब दिया- “कुछ नहीं।” “अगर मैं इसे एक घण्टे पकड़े रहूं तो ?” प्रोफेसर ने दोबारा प्रश्न किया। छात्रों ने उत्तर दिया- “आपके हाथ में दर्द होने लगेगा।” 


उन्होंने फिर प्रश्न किया- “अगर मैं इसे सारा दिन पकड़े रहूं तो क्या होगा” ? तब छात्रों ने कहा- “आपकी नसों में तनाव हो जाएगा। नसें संवेदन शून्य हो सकती हैं। जिससे आपको लकवा हो सकता है।” प्रोफेसर ने कहा- “बिल्कुल ठीक। अब यह बताओ क्या इस दौरान इस गिलास के वजन में कोई फर्क आएगा ?” जवाब था कि नहीं। तब प्रोफेसर बोले- “यही नियम हमारे जीवन पर भी लागू होता है। यदि हम किसी समस्या को थोड़े समय के लिए अपने दिमाग में रखते हैं। तो कोई फर्क नहीं पड़ता। 


लेकिन अगर हम देर तक उसके बारे में सोचेंगे तो वह हमारे दैनिक जीवन पर असर डालने लगेगी। हमारा काम और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होने लगेगा। इसलिए सुखी जीवन के लिए आवश्यक है कि समस्याओं का बोझ अपने सिर पर हमेशा नहीं लादे रखना चाहिए। समस्याएं सोचने से नहीं हल होतीं। सोने से पहले सारे समस्यायुक्त विचारों को बाहर रख देना चाहिए। इससे आपको अच्छी नींद आएगी और आप सुबह तरोताजा रहेंगे।


शिक्षा:-

समस्याओं को लेकर अधिक परेशान नहीं होना चाहिए। इससे हमारा नुकसान ही होता है।


सदैव प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।



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