Bhushan Kumar

Children Stories Inspirational

4.2  

Bhushan Kumar

Children Stories Inspirational

डाकू और बढई

डाकू और बढई

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एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और दिमाग से बहुत मजबूत था। एक दिन उसे पास के गाँव के एक अमीर आदमी ने फर्नीचर फिट करने के लिए बुलाया।जब वहाँ का काम खत्म हुआ तो लौटते वक्त शाम हो गई तो उसने काम के मिले पैसों की एक पोटली बगल में दबा ली और ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ़ लिया। वह चुपचाप सुनसान रास्ते से घर की और रवाना हुआ। कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसे एक लुटेरे ने रोक लिया। डाकू शरीर से तो बढ़ई से कमजोर था पर उसकी कमजोरी को उसकी बंदूक ने ढक रखा था। 


अब बढ़ई ने उसे सामने देखा तो लुटेरा बोला- 'जो कुछ भी तुम्हारे पास है सभी मुझे दे दो नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।' यह सुनकर बढ़ई ने पोटली उस लुटेरे को थमा दी और बोला- 'ठीक है यह रुपये तुम रख लो मगर मैं घर पहुँच कर अपनी बीवी को क्या कहुंगा। वो तो यही समझेगी कि मैंने पैसे जुए में उड़ा दिए होंगे। तुम एक काम करो, अपने बंदूक की गोली से मेरी टोपी में एक छेद कर दो ताकि मेरी बीवी को लूट का यकीन हो जाए।' 


लुटेरे ने बड़ी शान से बंदूक से गोली चलाकर टोपी में छेद कर दिया। अब लुटेरा जाने लगा तो बढ़ई बोला- 'एक काम और कर दो, जिससे बीवी को यकीन हो जाए कि लुटेरों के गैंग ने मिलकर लुटा हो। वरना मेरी बीवी मुझे कायर समझेगी। तुम इस कंबल में भी चार-पाँच छेद कर दो।' लुटेरे ने खुशी खुशी कंबल में गोलियाँ चलाकर छेद कर दिए। 


इसके बाद बढ़ई ने अपना कोट भी निकाल दिया और बोला- 'इसमें भी एक दो छेद कर दो ताकि सभी गॉंव वालों को यकीन हो जाए कि मैंने बहुत संघर्ष किया था।'


इस पर लुटेरा बोला- 'बस कर अब। इस बंदूक में गोलियां भी खत्म हो गई हैं।' 


यह सुनते ही बढ़ई आगे बढ़ा और लुटेरे को दबोच लिया और बोला- 'यही तो मैं चाहता था। तुम्हारी ताकत सिर्फ ये बंदूक थी। अब ये भी खाली है। अब तुम्हारा कोई जोर मुझ पर नहीं चल सकता है। चुपचाप मेरी पोटली मुझे वापस दे दो वरना...


यह सुनते ही लुटेरे की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और उसने तुरंत ही पोटली बढई को वापिस दे दी और अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा। आज बढ़ई की ताकत तब काम आई जब उसने अपनी अक्ल का सही ढंग से इस्तेमाल किया।


शिक्षा:-

मुश्किल हालात में अपनी अक्ल का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए तभी आप मुसीबतों से आसानी से निकल सकते हैं।



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